Friday, 14 October 2022

Hi All

 

After a long time retrieved my credentials and came back to writing......... 


Friday, 5 June 2020

प्रकृति कभी करती अति और कभी दुर्गति है ...



प्रकृति कभी करती अति और कभी दुर्गति है... 
कभी देती छप्पर फाड़ के तो कभी ले जाती पोछपाछ के,
कभी सुनती सबका है तो कभी अपना मन का करती है,
कभी प्यार दुलार से किसानों को खुश करती है तो कभी उन्हीं किसानों को बेबस लाचार कर देती है,
कभी नदी के सांत जल जैसी होती है तो कभी समुद्र के बड़ी लहरों के जैसे होती है,
कभी सूखा बंजर भूमि को कर देती तो कभी बाढ़ से भूमि को तहस-नहस कर देती,
कभी प्यारे से जीवन के साथ सुख सुविधा दे देती तो कभी मौत का तांडव नाच कर सब छीन ले जाती,
कभी ब्रम्हाण्ड को नई तकनियोँ से सुसज्जित करती तो कभी Covid 19 से ब्रम्हाण्ड को झंझोड़  देती,
प्रकृति कभी करती अती और कभी दुर्गति है।
                                                                    
                                                                     
                                                                          कारण है क्या??????
                    कारण है, हम मनुष्य की मनमानी,
Slogan On Environment In Hindi - पर्यावरण बचाये ...           कारण है, प्रकृति को ना पहचान पाने के,
           कारण है, उसे संभाल के ना रख पाने के, 
           कारण है, पेड़-पौधों को काट डालने के,
           कारण है, जल- स्थल  प्रदूषण  करने के,
           कारण है,जंगल की हरियाली को इमारतों में बदलने की, 
           प्रकृति कभी करती अती और कभी दुर्गति है। 



चाहिए समझने को सबको.....
विश्व पर्यावरण दिवस स्लोगन - World ...चाहिए समझने को सबको                                                        
                             ना काटे पेड़ पौधों को,
                             ना मारें निर्जीव प्राणियोँ को, 
                             ना बढ़ाएं प्रदूषण को,
                             ना बर्बाद करें प्रकृति को, 
                             पहचाने अपने प्यारे प्रकृति को,
और ना मजबूर करें प्रकृति को करने अपनी अति या दुर्गति,
प्रकृति कभी करती अति तो कभी दूर करती है।


slogan on save environment in hindi - ज्ञानी पण्डित ...

Sunday, 21 October 2018

सिन्दूर या खून

सिन्दूर या खून


रात के भयंकर  आँधी तूफान के बाद सवेरे नीँद खुली, देखा बादल साफ हो गया था, आसमान साफ था। लोग अपने नीत कर्म में लग गए थे। अखबार बाले ने अखबार डाल दिया था, दूध बाले ने दूध का पैकेट रख दिया था।
सोचा आज तो जाना है कॉलेज, जल्दी से तैयार हो जाती हूँ ।रसोई घर गई चाय बनाते बनाते , उनको आवाज़ दिया... अजी सुनते हो.. चाय बन गई उठ जाओ देखो आँधी तूफान छट गई है।
कोई आवाज़ नहीं....
सोचा सो रहे होंगे... क्यों परेशान करूँ... सोने देती हूं... थोडी देर बाद उठा दूँगी।
जल्दी से अपना नित्य कर्म खत्म किया…. फिर पुकारा... 
अजी सुनते हो ... क्या बनाऊं खाने मैं
फिर कोई जबाब नही...
गुस्सा आया बहुत... क्या हो गया है.. क्यों कुछ जबाब नहीं दे रहे हैं।

फिर सोचा ... उनकी पसंद का कुछ बनाती हूँ। रसोई घर में गई... पूरी बहुत पसंद करते हैं । पुरी और आलू की सब्जी बनाई .. सोचा उसकी मेंहक से उठ जाएँगे... फिर कोई जबाब नहीं...
गुस्से से बोला में कॉलेज के लिये  निकल रही हूँ...नही उठ रहे हो…. अकेले अपना सारा काम करके जाना। गुस्से से
कॉलेज के लिए तैयार होने लगी। फिर सोचा उनकी पसंद की साड़ी पहनती हूँ ....उन्हें नीला रंग बहुत पसंद है..
 इसीलिए नीली साड़ी पर सुनहरे रंग की बॉर्डर वाली साड़ी पहनी.... और खुद को आईने में निहारने लगी...यकीन नहीं आया प्यारी लग रही थीं। 
सोचा आज तो कहर ढउंगी... जब आयेंगे पास तो नखरे दिखाउंगी ... फिर पुकार लगाई.. अजी सुनते हो.. जा रही हूँ कॉलेज अभी तो उठ जायो... फिर जबाब नही..
अब तो हद ही हो गई...
ग़ुस्से से बोला .. सोते रहो....मैं जा रही हूं.. फिर नही आऊँगी, में भी नही सुनुगी बात तुम्हारा,नही करूँगी तुमसे बात,नही दूँगी तुम्हे जबाब ।
परेसान कर रहे हो, बात नही सून रहे हो, मायके भाग जाउंगी , फिर खोजते रहना, मुझे पुकारते रहना, फिर में ना सुनुगी।
फिर कोई जबाब नहीं....
फिर बहुत मुश्किल से खुद को मनाया ... बोला सो रहे हैं,थके होंगे सायद... सोने देती हूँ... जब तयार हूँगी.. उनके पास जाके उठाऊंगी। फिर देखती हूँ कैसे नहीं उठेगें। मुझे देखते ही अपनी और मेरी दोनो की छुट्टी कर देंगे काम से... सर्म भी आ रहा था कि सोच क्या रही हूँ।
तैयार होने के लिए बाल सबारें, कानो मैं बड़ी बड़ी बालियां पहेने, ढेर सारी नीले रंग की चूड़िया पहने, लिपस्टिक लगाई, फिर सोचा कुछ तो भूल रही हूँ। तब याद आया अरे! सिन्दूर तो लगाया ही नहीं... कैसे भूल सकती हूँ... एक नारी की सबसे बड़ी सिंगार है.. बहुत गुस्सा आया खुद पर, सिन्दूर की डिब्बी खोजा, लगाने के लिए डिब्बी पकड़ा !! फिर याद आया....

 
फिर याद आया... 
अरे!आँधी तो मेरे जीवन में आया था... सब तहस नहस करके चला गया। तूफान से मेरा छोटा सा परिवार टूट गया। सब कुछ बीखर गया।
दौड़ के गई... सिन्दूर लगाने वाले के पास ... ना सिन्दूर की डिब्बी थी, और ना सिन्दूर लगाने बाला था।
खाली थी डिब्बी, खाली था घर, तूफान सब उड़ा ले गया था।
तभी एक आवाज आई.... मम्मी wao.. पूरी बना है! नीली साड़ी पहनी हो!कितनी प्यारी लग रही हो। 
लगा हाँ!तूफान साफ हो गया है। अभी कुछ तो बचा है 
सिन्दूर नहीं तो क्या? मेरा खून मुझे पुकार रहा है।
उसे बड़ा करना है, जो बिखर गया है, उसे संभाला हैं।
डर लगता है, जीवन मैं अकेले ना पड़ जाऊं पर ... खुद पर यकीन है सब कुछ सही कर दूँगी।
कर लुंगी भगवान पर भरोसा है।
सिन्दूर नहीं तो क्या अपना खून तो पास है... उसे दुनिया भर की खुशियाँ देनी है, उसे बड़ा करना है।


Tuesday, 4 September 2018

आज है शिक्षक दिवस।

आज है शिक्षक दिवस।
आज है शिक्षक दिवस, आज है शिक्षक दिवस।
डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णनन का दिवस,
सारे शिक्षकों का दिवस,
सारे माता- पिताओं का दिवस।
  कहते हैं माता पिता होते हैं सबसे पहले शिक्षक,
           जो सीखते हैं बोलना और चलना,
           जो सीखते हैं गीर के उठना,
           जो करते सब कुछ, पर नहीं आता उन्हें जताना,
           आज हैं उनका दिवस, करती हूँ नमन उन सबको।

किसी ने मुझसे कहा, शिक्षक का काम बहुत है आसान,
करते क्या हो तुम काम,
बच्चों को डांट कर उन्हें समजाना,
मैंने कहा .... हाँ .. तुम करते हो एक मैनेजर को रिपोर्ट,
हुम् सब शिक्षक करते हैं 80-100 छोटे मैनजरों को रिपोर्ट।
                किसी ने क्या खूब कहा है,
                शिक्षक होते हैं देश के नींव,
                जो बनाते हैं देशवासियों को,
                जो सीखते हैं अनुशासन,
                जो बच्चों को आगे बढ़ाकर,
             
                 रह जाते हैं अपने जगह पर,
                और खुश होते हैं उनको बढ़ता देख कर,
                आज है उनका दिवस, नमन करती हूँ उन सबको।
अंतिम मैं उनको नमन करती हूँ,
 जिनका आज जन्म दिवस है,
 हमारे पहले उप राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति,
 जिनका था मानना,अच्छा शिक्षक होता वो है,
जो अपने बच्चों को प्रगति के मार्ग में चलाता है,
और देश के उन्नति में सहायक होता है,
करती हूँ नमन उनको..
आज है शिक्षक दिवस, आज है शिक्षक दिवस।

Thursday, 23 August 2018

माँँ - मेरी प्रेरणा

माँँ - मेरी प्रेरणा 

माँ मेरी बहुत प्यारी,
डांट लगाए ढेर सारी,
प्यार करे बहुत सारी,
माँँ मेरी बहुत प्यारी,
             कभी बोले चुप है क्यों बात कर,
             कभी बोले कितना बात करती है, चुप रह।
             कभी बोले सो रही है कितना, काम है कर,
              कभी बोले कितना काम करती है तोडा़ सो ले।
बचपन में आता था गुस्सा क्यों नहीं सूनती मुझे,
पर अब लगता है मैं भी तो नहीं सूनती।
बचपन में लगता था कितनी बेदर्द हे नहीं है दया,
पर अब एहसास है मैं भी हूँ बेदर्द नहीं है दया।
                  सूना है, माँ मैं रहते है भगवान,
                  देखा है, अपनी माँ मैं भगवान।
                  जब प्यार करे लगे पार्वती,
                  जब गुस्सा करे लगे दुर्गा,
                  जब उपदेश दे लगे कृष्णा,
               और जब सर पर हाथ फेरे लगे मेरी प्यारी माँ।
खूब जीए तू, साथ रहे तू,
तू है तो सब है माँ,
तू है तो दूनिया जीत सकती हूँ,
तू है मेरी प्यारी माँ, 
मेरी प्रेरणा मेरी माँ।