कभी सुनती सबका है तो कभी अपना मन का करती है,
कभी प्यार दुलार से किसानों को खुश करती है तो कभी उन्हीं किसानों को बेबस लाचार कर देती है,
कभी नदी के सांत जल जैसी होती है तो कभी समुद्र के बड़ी लहरों के जैसे होती है,
कभी सूखा बंजर भूमि को कर देती तो कभी बाढ़ से भूमि को तहस-नहस कर देती,
कभी प्यारे से जीवन के साथ सुख सुविधा दे देती तो कभी मौत का तांडव नाच कर सब छीन ले जाती,
कभी ब्रम्हाण्ड को नई तकनियोँ से सुसज्जित करती तो कभी Covid 19 से ब्रम्हाण्ड को झंझोड़ देती,
प्रकृति कभी करती अती और कभी दुर्गति है।
कारण है क्या??????
कारण है, हम मनुष्य की मनमानी,
कारण है, उसे संभाल के ना रख पाने के,
कारण है, पेड़-पौधों को काट डालने के,
कारण है, जल- स्थल प्रदूषण करने के,
कारण है,जंगल की हरियाली को इमारतों में बदलने की,
प्रकृति कभी करती अती और कभी दुर्गति है।
चाहिए समझने को सबको.....
ना काटे पेड़ पौधों को,
ना मारें निर्जीव प्राणियोँ को,
ना बढ़ाएं प्रदूषण को,
ना बर्बाद करें प्रकृति को,
पहचाने अपने प्यारे प्रकृति को,
और ना मजबूर करें प्रकृति को करने अपनी अति या दुर्गति,
प्रकृति कभी करती अति तो कभी दूर करती है।
